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जो बोयेगा वही काटेगा मजेदार स्टोरी इन हिंदी

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की जब कोई आपको किसी समस्या के बारे में चेतावनी देता है, तब ऐसे में उनकी बातों को समझदारी से सुनना और उसके ऊपर कार्य करना महत्वपूर्ण होता है। रोकथाम इलाज से बेहतर है!

इस कहानी से हमें यह सीख मिली की हमें हार नहीं मानना चाहिए बल्कि कई तरह से प्रयास करते रहना चाहिए। सफलता अवश्य मिलती है।

यह जवाब सुनकर, राजा को काफ़ी संतोष मिला। इस उत्तर से प्रसन्न होकर अकबर ने बीरबल को एक माणिक और मोती की जंजीर भेंट की। वहीं उन्होंने बीरबल की बुद्धि की काफ़ी प्रसंशा करी।

और पास में रह रहे एक सज्जन व्यक्ति को सारा हाल बताया। उस आदमी ने व्यापारी को एक तरकीब बताई। कहा की एक दिन उस गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाद कर ले जाओ। जैसे ही गधा पानी में बैठेगा रुई में पानी भर जाएगा, जिससे उसका वजन बढ़ जाएगा। और गधा फिर कभी नहीं बैठेगा। व्यापारी ने ऐसा ही किया।

इस कहानी here से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी बात पर हमें आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। और पहले से ही हार मानने के बजाय हमें अंत तक कोशिश करना चाहिए। क्योंकि कोशिश करने बालो की कभी हार नहीं होती है।

बहुत दिनों पहले की बात है। एक बार, दो भाई जंगल के किनारे रहते थे। बड़ा भाई हमेशा अपने छोटे भाई के प्रति निर्दयी रहता था। वह बड़ा भाई हमेशा सारा भोजन ले लिया करता था और इसके साथ सारे अच्छे कपड़े छीन लिया करता था अपने छोटे भई से। लेकिन छोटा भाई दिल का साफ़ था और अपने बड़े भाईं को ज़्यादा प्यार करता था।

“तो, इसका मतलब है कि कौवे पड़ोसी राज्यों में अपने रिश्तेदारों से मिलने गए हैं!” बीरबल ने उस दरबारी को उत्तर दिया। फिर दूसरे दरबारी से पूछा “लेकिन, अगर आपकी गिनती से ज्यादा कौवे हों तो क्या होगा?

पालमपुर नाम के एक गाँव में एक बूढ़ा व्यापारी रहता था। वह नमक का व्यापार करता था। उसका शरीर कमजोर था इसलिए वह अपने साथ एक गधा लेकर जाता था। और उसके ऊपर नमक की बोरियां लादकर दूसरे गांव में व्यापार करने जाता था। दोनों गांव के बीच में एक नदी पड़ती थी। नदी पर कोई पुल नहीं थी उसमें उतरकर पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते समय व्यापारी का गधा नदी में लड़खड़ा कर गिर गया। और नमक की बोरियां पानी में भीग गई। व्यापारी ने उसे उठाया और आगे चल दिया।

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हालांकि शर्म आ रही थी फिर भी, गुलाब ने कैक्टस से पूछा कि क्या उसे कुछ पानी मिल सकता है? इसके जवाब में, दयालु कैक्टस आसानी से सहमत हो गया। गुलाब को अपनी गलती की एहसास हुआ, वहीं उसने एक दूसरे का मदद किया इस कठिन गर्मी को पार करने के लिए।

निराश होकर उसने घर वापस जाने का फैसला किया। जब वो रास्ते में जा रही थी तब रास्ते में उसकी मुलाकात एक बूढ़े उल्लू से हुई जिसने उससे पूछा कि क्या गलत है, वो इतनी ज़्यादा उदास क्यूँ है।  एमिली ने उसे अपनी कहानी सुनाई और बताया कि कैसे उसने अपनी चाबी खो दी है। उल्लू ने ध्यान से सुना और फिर कहा, “चिंता मत करो एमिली, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।”

अगले दिन मुर्गी ने सुनहरे रंग का अंडा दिया। वह अंडा सोने का था जिसे देख कर वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ और उसे लेकर शहर में बेच दिया। और जो पैसे मिले उससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करने लगा। इसी प्रकार से हर रोज वह सुनहरी मुर्गी एक सोने का अंडा देती थी। और उसे बेचकर वह गरीब आदमी बहुत अमीर हो गया। अब उसके मन में लालच बढ़ गया उसने सोचा कि जब यह हर दिन एक अंडा देती है तो इसका मतलब इसके पेट में कई सारे सोने के अंडे होंगे। क्यों ना मैं इस सुनहरी मुर्गी को काटकर इसके पेट से सारे सोने के अंडे एक साथ ही निकाल लूँ। और उसने ऐसा ही किया परन्तु, उस मुर्गी के पेट में एक भी सोने का अंडा नहीं था। और अब सुनहरी मुर्गी मर चुकी थी। और वह आदमी अपने लालच की वजह से सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को खो दिया।

वो सबसे पहले एक बंदर से संपर्क किया और कहा, “नमस्ते, बंदर भैया ! क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे?

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